कबहुँ स्याम जमुना तट जात -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग जैतश्री


कबहुँ स्याम जमुना तट जात।
कबहुँ कदम चढ़त मग देखत, राधा बिनु अतिही अकुलात।।
कबहुँ जात बन कुंजधाम कौं, देखि रहत नहि कछू सुहात।
तब आवत वृषभानुपुरा कौ, अति अनुराग भरे नँदतात।।
प्यारी हृदय प्रगटही जानति, तब वह मनहीं माँझ सिहात।
'सूरदास' नागरि के डर मैं, निबसे नागर स्यामल गात।।2021।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः