ऊधौ जान्यौ ज्ञान तिहारौ।
जानै कहा राजगति लीला, अंत अहीर बिचारौ।।
भली भई हम सबै अयानी, सयानी सौ मन मान्यौ।
लाज भए प्रभु आवत नाही, ह्वै जु रहे खिसियानौ।।
लै आवौ हम कछु न कैहै, मिलिहै, प्रान पियारे।
ब्याहौ बीस धरौ दस कुबिजा, अंतहू स्याम हमारे।।
सुनि री सखी कछू नहि कहियै, माधौ आवन दीजै।
'सूरदास' प्रभु आन मिलै जौ, हाँसी करि करि लीजै।।3967।।