उल्हरि आयौ सीतल बूँद पवन पुरवाई -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग मलार


(उल्हरि आयौ) सीतल बूँद पवन पुरवाई।
जहाँ तहाँ तै उमड़ि घुमड़ि घन, कारी घटा चहूँ दिसि धाई।।
भीजत देखी राधा माधव, लै कारी कामरी उठाई।
अति जल भीजि चीरवर टपकत और सबै टपकत अँबराई।।
काँपत तन तिय कौ, पिय हँसि कै, भुज भरि अपनै कंठ लगाई।
हबै इकठौर 'सूर' प्रभु प्यारी, रहे उपरना बीच समाई।।1990।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः