उठि राधे कत रैनि गँवावै -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिलावल


उठि राधे कत रैनि गँवावै।
महि-सुत-गति तजि, जल-सुत-गति तजि, सिंधु-सुधा-पति भवन न भावै।।
अलिवाहन कौ प्रीतम वाला ता वाहन रिपु ताहि सतावै।
सो निवारि चलि प्रान पियारी, धर्म सु नहिं मति भाव न पावै।।
सैल-सुता-सुत-वाहन सजनी ता रिपु ता मुख सब्द सुनावै।
'सूरदास' प्रभु पथ निहारत, तोहि ऐसी हठ क्यौ बनि आवै।।2796।।

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