हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 90 श्लोक 11-15

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 90 श्लोक 11-15

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वज्रं नगरमायान्तं निकुम्भं रणदुर्जयम्।
पार्थकृष्णौ महात्मानावासेदतुररिंदमौ।।11।।

प्रद्युम्नश्च महातेजा मायिनां प्रवरो नृप।
निकुम्भश्चाथ तान् दृष्ट्वा त्रिधात्माऽऽत्माथाकरोत्।।12।।

तान् सर्वान् योधयामास निकुम्भ्: प्रहसन्निव।
बहुकण्टकगुर्वीभिर्गदाभिरमरोपम:।।13।।

सव्येनालम्बय हस्तेन कन्यां भानुमतीं नृप।
दक्षिणेनाथ हस्तेान गदया प्राहरत् पुन:।।14।।

कन्यार्थं न च कृष्णौ वा कामो वा नृपसत्तम।
निर्दयं प्रहरन्ति स्म निकुम्भे न च महासुरे।।15।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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