हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 8 श्लोक 6-10

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 8 श्लोक 6-10

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क्‍वचिद्धसन्‍तावन्‍योन्‍यं क्रीडमानौ क्‍वचित् क्‍वचित्।
पर्णशय्यासु संसुप्‍तौ क्‍वचिन्निद्रान्‍तरेक्षणौ।।6।।

एवं वत्‍सान् पालयन्‍तौ शोभयन्‍तौ महावनम् ।
चञ्चूर्यन्‍तौ रमन्‍तौ स्‍म किशोराविव चञ्चलौ।।7।।

अथ दामोदर: श्रीमान् संकर्षणमुवाच ह।
आर्य नास्मिन् वने शक्‍यां गोपालै: सह क्रीडितुम्।।8।।

अवगीतमिदं सर्वमावाभ्‍यां भुक्‍तकाननम्।
प्रक्षीणतृणकाष्‍ठं च गोपैर्मथितपादपम्।।9।।

घनीभू‍तानि यान्‍यासन् काननानि वनानि च।
तान्‍याकाशनिका‍शानि दृष्‍यन्‍तेऽद्य यथाऽसुखम्।।10।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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