हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 45 श्लोक 16-19

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 45 श्लोक 16-19

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तत्रायुधानि संन्यस्य गृहे स्वे स्वै्रचारिणौ।
मुमुदाते यदुवरौ वसुदेवसुतावुभौ।।16।।

ततस्तु वसुदेवस्य पादौ समभिपीड्य च।
तत्रोग्रसेनं राजानमन्यांश्च यदुपुंगवान्।।17।।

यथान्यारयं पूजयित्वां तौ सर्वैश्चादभिनन्दितौ।
जग्म्तुर्हृष्टतमनसौ मातुरेव निवेशनम्।।18।।

एवं तावेकनिर्माणौ मथुरायां शुभाननौ।
उग्रसेनानुगौ भूत्वाथ कञ्चित्काालं मुमोदतु:।।19।।
 
इति श्रीमहाभारते खिलभागे हरिवंशे विष्‍णुपर्वणि रामकृष्णतयोर्मथुरां प्रत्यागमने पंचचत्वारिंशोऽध्याय:।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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