हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 43 श्लोक 6-10

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 43 श्लोक 6-10

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लेलिहानानि दीप्तानि दीप्तायग्निसदृशानि वै।
निक्षिप्य यानि तत्रैव तानि प्राप्तौ स्म यादवौ।।6।।

क्रव्यादैरनुयातानि मूर्तिमन्ति बृहन्ति च।
तृषितान्याहवे भोक्तुं नृपमांसानि सर्वश:।।7।।

दिव्यस्त्रग्दामधारीणि त्रासयन्ति च खेचरान्।
प्रभया भासमानानि दंशितानि दिशो दश।।8।।

हलं सांवर्तकं नाम सौनन्दं मुसलं तथा।।।
चक्रं सुदर्शनं नाम गदां कौमोदकीं तथा।।9।।

चत्वार्येतानि तेजांसि विष्णुसप्रहरणानि वै।
ताभ्यां समवतीर्णानि यादवाभ्यां महामृधे।।10।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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