हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 30 श्लोक 6-10

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 30 श्लोक 6-10

Prev.png

 

वल्‍गमाने तु गोविन्‍दे स कृत्‍स्‍त्रो रंगसागर:।
जनौघप्रतिनादेन पूर्यमाण इवाबभौ।।6।।

तत: क्रोधाभिताम्राक्ष: कंस: परमकोपन:।
चाणूरमादिशद् युद्धे कृष्‍णस्‍य सुमहाबलम्।।7।।

अन्‍ध्रं मल्‍लं च निकृति मुष्टिकं च महाबलम्।
बलदेवाय सक्रोधो दिदेशाद्रिचयोपमम्।।8।।

कंसेनापि समाज्ञप्‍तश्‍चाणूर: पूर्वमेव तु।
योद्धव्‍यं सह कृष्‍णेन त्‍वया यत्‍नवतेति वै।।9।।

स रोषेण तु चाणूर: कषायीकृतलोचन:।
अभ्‍यावर्तत युद्धार्थमपां पूर्णो यथा घन:।।10।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः