हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 128 श्लोक 36-41

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 128 श्लोक 36-41

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आश्चार्यपर्व निलिखं यो हीदं धारयेन्नृप।।36।।
सर्वपापविनिर्मुक्तो विष्णुदलोकं स गच्छृति।

कल्य उत्थाय यो नित्यं कीर्तयेत् सुसमाहित:।।37।।
न तस्‍य दुर्लभं किंचिदिह लोके परत्र च।

ब्राह्मण: सर्ववेदी स्याकत् क्षत्रियो विजयी भवेत्।।38।।
वैश्यो धनसमृद्ध: स्यायच्छूद्र: कामानवाप्नयात्।

नाशुभं पाप्नुयात् किंचिद् दीर्घमायुर्लभेत स:।।39।।

सौतिरुवाच
इति पारीक्षितो राजा वैशम्पायनभाषितम्।
श्रुतवानचलो भूत्वा हरिवंशं द्विजोत्तमा:।।40।।

एवं शौनक संक्षेपाद् विस्तारेण तथैव च।
प्रोक्ता वै सर्ववंशास्तेे किं भूय: श्रोतुमिच्छतसि।।41।।

इति श्रीमहाभारते खिलभागे हरिवंशे विष्णुपर्वणि उषाहरणसमाप्तौ अष्टाविंशत्याधिकशततमोऽध्याय:।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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