हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 127 श्लोक 36-40

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 127 श्लोक 36-40

Prev.png

 

कुम्भाण्डेनैवमाख्याते हरि: प्रीतमनास्तदा।
गमनाय मतिं चक्रे गन्तुव्यमिति निश्चयम्।।36।।

ततस्तु भगवान् ब्रह्मा वर्धाप्य स तु केशवम्।
जगाम ब्रह्मलोकं स वृत: स्वभवनालयै:।।37।।

इन्द्रो मरुद्गणयुतो द्वारकाभिमुखो ययौ।
यत: कृष्णस्तत: सर्वे गच्छन्ति जयकांक्षिण:।।38।।

वाहनेन मयूरेण सखीभि: परिवारिता।
द्वारकाभिमुखी ह्यूषा देव्या प्रस्थापिता ययौ।।39।।

ततो बलश्च कृष्णश्च् प्रद्युम्नश्च महाबल:।
आरूढवन्तो गरुडमनिरुद्धश्च् वीर्यवान्।।40।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः