हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 124 श्लोक 36-40

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 124 श्लोक 36-40

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गंधर्वाप्सरसश्चैव यक्षा विद्याधरास्तथा॥36॥
सिद्धचारणसंघाश्च पाश्यन्तोऽथ दिवि स्थिता:॥

तत: पार्जन्यचमस्त्रं तत् क्षिप्तं रुद्राय विष्णु ना।।37।।
ययौ ज्वरलन्ननथ तदा यतो रुद्रो रथस्थित:।

तत: शतसहस्राणि शराणां नतपर्वणाम्।।38।।
निपेतु: सर्वतो दिग्योरा यतो हररथ: स्थित:।

अथाग्नेयं महारौद्रमस्त्रमस्त्र विदां वर:।।39।।
मुमोच रुषितो रुद्रस्तदद्भुतमिवाभवत्।

ततो विशीर्णदेहास्ते् चत्वाभरोऽपि समन्त्तत:।।40।।
नादृश्यनत शरैश्छवन्ना दह्यमानाश्च वह्निना।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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