हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 120 श्लोक 6-10

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 120 श्लोक 6-10

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अनिरुद्ध उवाच

महेन्द्र विष्णुभगिनीं नमस्यामि हिताय वे।
मनसा भावशुद्धेन शुचि: स्तोष्ये कृतांजलि:।।6।।

गौतमीं कंसभयदां यशोदानन्दंवर्द्धिनीम्।
मेध्यां गोकुलसम्भूतां नन्दगोपस्य नन्दिनीम्।।7।।

प्राज्ञां दक्षां शिवां सौम्यां दनुपुत्रविमर्दिनीम्।
तां देवी सर्वदेहस्थांं सर्वभूतनमस्कृताम्।।8।।

दर्शनीं पूरणीं मायां व ह्निसूर्यशशिप्रभाम्।
शान्तिं ध्रुवां च जननीं मोहिनीं शोषणीं तथा।।9।।

सैव्यां देवै: सर्षिगणै: सर्वदेवनमस्कृताम्।
कालीं कात्यायनीं देवीं भयदां भयनाशिनीम्।।10।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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