हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 119 श्लोक 196-200

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 119 श्लोक 196-200

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संयतं मायया दृष्ट्वा अनिरुद्धं महाबलम्।।196।।

ऋषीणां नारद: श्रेष्ठोरऽव्रजद् द्वारवतीं प्रति।
ततो ह्याकाशमार्गेण मुनिर्द्वारवती गत:।।197।।

गते ऋषीणां प्रवरे सोऽनिरुद्धो व्यचिन्तयत्।
नष्टोऽयं दानव: क्रूरो युद्धमेष्यत्यसंशय:।।198।।

स गत्वा नारदस्तत्र शंखचक्रगदाधरम्।
ज्ञापयिष्यति तत्त्वेन इममर्थं न संशय:।।199।।

नागैर्विचेष्टितं दृष्ट्वा उषा प्राद्युम्निमातुरा।
रुरोद बाष्पदरुद्धाक्षी तामाह रुदतीं पुन:।।200।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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