हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 116 श्लोक 66-70

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 116 श्लोक 66-70

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श्वे्तलोहितपर्यन्त: कृष्णग्रीवस्तडिदृद्युति:।
त्रिवर्णपरिघो भानु: संध्यायरागमथावृणोत्।।66।।

वक्रमंगारकश्च क्रे कृत्तिकासु भयंकर:।
बाणस्य जन्मनक्षत्रं भर्त्सकयन्निव सर्वश:।।67।।

अनेकशाखश्चै्त्यकश्चं निपपात महीतले।
अर्चित: सर्वकन्याशभिर्दानवानां महात्मनाम्।।68।।

एवं विविधरूपाणि निमित्तानि निशामयन्।
बाणो बलमदोन्मत्तो निश्चायं नाधिगच्छति।।69।।

विचेतास्त्वभवत् प्राज्ञ: कुम्भाण्डस्तत्त्वदर्शिवान्।
बाणस्य सचिवस्तत्र कीर्तयन् बहु किल्बिषम्।।70।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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