श्यामा सुचारुकेशा स्त्री शुक्लाम्बषरविभूषिता।
पद्महस्ता निरीक्षन्ती प्रविष्टा मम वेश्मनि।।11।।
तया पुनरहं गृह्य स्नापिता रुचिराम्बुना।
कुशेशयमयीं मालां स्त्री संगृह्याथ पाणिना।।12।।
मम मूर्धन्युपाघ्नाय दत्ता स्वच्छा तया मम।
एवं स्वप्नान् कीर्तयन्ती रुक्मिणीहृष्टमानसा।।13।।
सखीजनवृता देवी कुमारं वीक्ष्या तं मुहु:।
धन्याया: ल्वयं पुत्र दीर्घायु: प्रियदर्शन:।।14।।
ईदृश: कामसंकाशो यौवने प्रथमे स्थित:।
जीवपुत्रा त्वया पुत्र कासौ भाग्यसमन्विता।।15।।
किमर्थं चाम्बुदश्याम: सभार्यस्त्वमिहागत:।