हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 106 श्लोक 26-30

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 106 श्लोक 26-30

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तेऽष्टायपदा बलोदग्रा नखदंष्ट्राषयुधा रणे।
सिंहान् विद्रावयामासुर्वायुर्जलधरानिव।।26।।

सिंहान् विद्रवतो दृष्ट्वा माययाष्टाधपदेन वै।
शम्बरश्चिन्तयामास कथमेनं नि‍हन्म वै।
अहो मूर्खस्वबभावोऽहं यन्मया न हत: शिशु:।।27।।

प्राप्तयौवनदेहस्तु कृतास्त्र श्चापि दुर्मति:।
तत् कथं निहनिष्यायमि शत्रुं रणशिर:स्थितम्।।28।।

माया सा तिष्ठते तीव्रा पन्नगी नाम भीषणा।
दत्तास मे देवदेवेन हरेणासुघातिना।।29।।

तां सृजामि महामायामाशीविषसमाकुलाम्।
तया दह्येत दुष्टात्माल ह्येष मायामयो बली।।30।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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