हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 106 श्लोक 16-20

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 106 श्लोक 16-20

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सिंहान् व्या‍घ्रान् वराहांश्च् तरक्षूनृक्षवानरान्।
वारणान् वारिदप्रख्यायन् हयानुष्ट्राहन् विशाम्पनते।।16।।
मुमोच धनुरायम्य प्रद्युम्न‍स्य रथोपरि।

गान्धर्वास्त्रेण चिच्छे‍द सर्वांस्तारन् खण्डशस्तदा।।17।।

प्रद्युम्नेन तु सा माया हता तां वीक्ष्य् शम्बसर:।
अन्यां मायां मुमोचाथ शम्बर: क्रोधमूर्च्छित:।।18।।

गजेन्द्रान् भिन्नंवदनान् षष्टिहायनयौवनान्।
महामात्रोत्तदमारूढान् कल्पितान् रणकोविदान्।।19।।

तामापतन्तीं मायां तु कार्ष्णि: कमललोचन:।
सैंहीं मायां समुत्स्त्रयाष्टुं चक्रे बुद्धिं महामना:।।20।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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