हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 105 श्लोक 61-65

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 105 श्लोक 61-65

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मुक्ताहारोर्मिबहुलां मांसमेद: सपंकिनीम्।
छत्रद्वीपां शरावर्तां रथै: पुलिनमण्डिताम्।।61।।

केयूरकुण्डंलाकूर्मां ध्वजमत्स्य विभूषिताम्।
नागग्राहवतीं रौद्रामसिनक्रविभूषिताम्।।62।।

केशशैवलसंछन्नां श्रोणिसूत्रमृणालिकाम्।
वराननसुपद्मां च हंसचामरवीजिताम्।।63।।

शिरस्तिमिसमाकीर्णां शोणितौघप्रवर्तिनीम्।
नदीं दुस्तमरणीं भीमामनंगेन प्रवर्तिताम्।।64।।

दुष्प्रेक्षां दुर्गमां रौद्रां हीनतेज: सुदुस्तराम्।
शस्त्रग्राहवतीं घोरां यमराष्ट्र विवर्द्धनीम्।।65।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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