हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 103 श्लोक 11-15

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 103 श्लोक 11-15

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भद्रकारो भद्रविन्द्: कन्या भद्रवती तथा।
सुदत्तायां तु शैब्ययां संग्रामजिदजायत।।11।।
सत्यजित् सेनजिच्चै्व तथा शूर: सपत्नजित्।

सुभीमाया: सुतो माद्रया वृकाश्वो वृकनिर्वृति:।।12।।
कुमारो वृकदीप्तिश्च लक्ष्मणाया: प्रजा: श्रृणु।

गात्रवान् गात्रगुप्तश्च गात्रविन्दाश्च वीर्यवान्।।13।।
जज्ञिरे गात्रवत्या च भगिन्या‍ऽनुजया सह।

अश्रुतश्चा सुतो जज्ञे कालिन्द्या: श्रुतसम्मित:।।14।।
अश्रुतं श्रुतसेनायै प्रददौ मधुसूदन:।

तं प्रदाय हृषीकेशस्तांर भार्यां मुदितोऽब्रवीत्।।15।।
एष वामुभयोरस्तुच दायाद: शाश्वयती: समा:।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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