हरिवंश पुराण: विष्णु पर्व: एकनवतितम अध्याय: श्लोक 47-54 का हिन्दी अनुवादतुम्हें वहाँ अपने नेत्रों और मुख के द्वारा सब प्रकार से प्रसन्नता प्रकट करनी चाहिये। महात्मा प्रद्युम्न के गुणों को उसी-उसी प्रकार से बताना चाहिये, जिससे प्रभावती का मन उनमें पूर्णत: अनुरक्त हो जाय। इन सब बातों का समाचार तुम्हें प्रतिदिन मुझे और द्वारका में मेरे छोटे भाई श्रीकृष्ण को भी बताना चाहिये। जब तक आत्मज्ञानी वैभवशाली प्रद्युम्न वज्रनाभ की सुन्दरी पुत्री प्रभावती को अपनी न बना लें तब तक तुम्हारा प्रयत्न चालू रहना चाहिये। ब्रह्मा जी के वरदान से घमंड में भरे रहने वाले वज्रनाभ आदि सारे दैत्य देवताओं के लिये अवध्य हैं। वे युद्ध में प्रद्युम्न आदि देवकुमारों द्वारा ही मारे जा सकते हैं। मुनियों का वर प्राप्त करने वाला जो भद्रनामा नट है, उसी का वेष धारण करके प्रद्युम्न आदि यादव वज्रनाभ का विनाश करने के लिये उसके नगर में जायेंगे। ये तथा और भी जो समयोचित कर्तव्य प्राप्त हों, उन सबको हमारा प्रिय करने की इच्छा से तुम लोगों को पूर्ण करना चाहिये। हंसों! वहाँ वज्रनाभ के अभीष्ट प्रदेश में देवताओं का किसी तरह भी प्रवेश नहीं हो सकता। यह सर्वथा निश्चित है’। इस प्रकार श्रीमहाभारत के खिलभाग हरिवंश के अन्तर्गत विष्णु पर्व में वज्रनाभ वध के प्रसंग में इक्यानबेवाँ अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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