हरिवंश पुराण: विष्णु पर्व: द्वात्रिंश अध्याय: श्लोक 55-64 का हिन्दी अनुवाद
राजकुमार कंस का शव पहले यमुना जी के तट पर लाया गया, फिर यथोचित रीति से मृत्युकालिक चिताग्नि के द्वारा उसका सादर अन्त्येष्टि-संस्कार किया गया उसी प्रकार श्रीकृष्ण सहित यादवों ने उसके भाई महाबाहु सुनामा का भी दाह-संस्कार किया वृष्णि और अन्धक आदि कुलों के लोगों ने उन दोनों के लिये जल-दान किया और बारम्बार यह कहा कि ‘यह जल प्रेतों के लिये अक्षय हो’ श्रीहरि तथा नृपश्रेष्ठ उग्रसेन ने श्राद्ध में कंस के उद्देश्य से ब्राह्मणों को दस करोड़ स्वर्ण मुद्राएं, बहुत-सी गौएं, रत्न, वस्त्र, नगरों- जैसे सम्मानित ग्राम दिये और बारम्बार विप्रों से यह कहा- 'हमारा दिया हुआ यह दान उस दिवंगत आत्मा के लिये अक्षय हो।' इस प्रकार कंस और सुनामा के लिये जल-दान करके दीनचित्त यादव राजा उग्रसेन को आगे किये मथुरापुरी में प्रविष्ट हुए। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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