हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 108 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 108 श्लोक 1-5

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वैशम्पायन उवाच
समाप्तामायो मायाज्ञो विक्रान्त: समरेऽव्यय:।
अष्ट्म्यां निहतो युद्धे मायावी कालशम्बर:।।1।।

तमृक्षवन्ते नगरे निहत्यातसुरसत्तमम्।
गृह्य मायावतीं देवीमागच्छन्नगरं पितु:।।2।।

सोऽन्तरिक्षगतो भूत्वा मायावी शीघ्रविक्रम:।
आजगाम पुरीं रम्यां रक्षितां तेजसा पितु:।।3।।

सोऽन्तपरिक्षान्निपतित: केशवान्त: पुरे शिशु:।
मायावत्या सह तया रूपवानिव मन्मथ:।।4।।

तस्मिंस्तत्रावपतिते महिष्य: केशवस्य या:।
विस्मिताश्चै‍व हृष्टाश्च भीताश्चैवाभवंस्तत:।।5।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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