हमारी जन्मुभूमि यह गाउँ -सूरदास

सूरसागर

नवम स्कन्ध

Prev.png
राग मारू


 
हमारी जन्मुभूमि यह गाउँ।
सुनहु सखा सुग्रीव-बिभीषन, अवनि अजोध्या नाउँ।
देखत बन-उपवन-सरिता-सर परम मनोहर ठाउँ।
अपनी प्रकृति लिए बोलत हौं, सुरपुर मैं न रहाउँ।
ह्याँ बासी अवलोकत हौं, आनँद उर न समाउँ।
सूरदास जौ विधि न सँकोचौ, तौ बैकुंठ न जाउँ॥165॥

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः