स्याम स्यामा परम कुसल जोरी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग गुंड मलार


स्याम स्यामा परम कुसल जोरी।
मनौ नव जलद पर दामिनी की कला, सहज गति मेटि अति भई भोरी।।
अलक आकुल बिथुर स्याम मुख पर रही, मनौ बल राहु ससि घेरि लीन्हौ।
चितै मुख चारु चुबन करत सकुच तजि, दसन छत अधर पिय मगन दीन्हौ।।
परत समबुंद टप टपकि आननबाल, भई बेहाल रतिमोह भारी।
विधु परसि दत विध्वंत अंमृत चुबत, 'सूर' विपरीत रति पीउ प्यारी।।2033।।

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