स्यामहिं बोलि लियौ ढिग प्यारी।
ऐसी बात प्रगट कहुँ कहियत, सखिनि माँझ कत लाजनि मारी।।
इक ऐसे हि उपहास करत सब, ता पर तुम यह बात पसारी।
जाति-पाँति के लोग हँसहिंगे, प्रगट जानिहैं स्याम-मतारी।।
लाजनि मारत हौ कत हमकौं, हा हा करति जानि बलिहारी।
सूर स्याम सर्बज्ञ कहावत, मात पिता सौं द्यावत गारी।।1557।।