स्याम भुजा गहि दूतिका -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिलावत


स्याम भुजा गहि दूतिका, कही आतुर बानी।
काहे कौ कदरात हौ, मै राधा आनी।।
बिरह दूरि करि डारियै, सुख करौ कन्हाई।
त्रिया नाम स्रवननि सुन्यौ, चितये अकुलाई।।
मिले दूतिका अंक दै, लोचन भरि आए।
प्यारी प्यारी बोलि कै, जुवतहि उर लाए।।
तब बोली हँसि दूतिका, पिय आवति नारी।
'सूर' स्याम सुनि बोल वै, हरषे बनबारी।।2440।।

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