स्याम कहो सोई सब मानो। पूजा की बिधि हम अब जानी।।
नैन मूंदि कर जोरि बुलायौ। भाव भक्ति सौं भोग लगायौ।।
बड़े देव गिरिधर सबही के। भोजन करहु कृपा करि नीके।।
सहस भुजा धरि दरसन दीन्हौ। जै-जै धुनि नभ देवनि कीन्हौ।।
भोजन करत सबिनि के आगे। सुर-नर मुनि सब देखन लागे।।
देखि थकित सब ब्रज की बाला। देखत नंद गोप सब ग्वाला।।
सूर स्याम जन के सुखदाई। सहज भुजा धरि भोजन खाई।।910।।