स्यामहिं दोष कहा कहि दीजै -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग धनाश्री


स्यामहिं दोष कहा कहि दीजै।
कहा बात मुरली सौं कहियै, सब अपनेहिं सिर लीजै।।
हमहीं कहति बजावहु मोहन, यह नाहीं तब जाही।
हम जानी यह बाँस बँसुरिया, को जानै पटरानी।।
बारे तैं मुँह लागत-लागत, अब ह्वै गई सयानी।
सुनहु सूर हम भोरी-भारी याकी अ‍कथ कहानी।।1314।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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