सोवत ग्वालनि कान्ह जगाए -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

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राग बिलावल
खेलन




सोवत ग्वालनि कान्ह जगाए।
भोर भऐं हम आए दरस कौ जीवन जन्म सफल करि पाए।।
उत्तम सेजऽरु स्वेत बिछौना चहुँदिसि रचि रचि आपु बनाए।
'सूरदास' प्रभु तुम्हरे दरस को पूरन चद्र प्रगट ह्वै आए।। 15 ।।

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