सुनि कै कुंज कानन बैन -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राम कल्यान


सुनि कै कुंज कानन बैन।
ब्रज-बधू सब बिसरि अंबर, चली गृह तजि चैन।।
सब्द इहिं बिधि भयौ मोहन, सुझि और परै न।
थकित जमुना भई इहि बिधि, मनहुँ जल कियौ सैन।।
मगन मुनि जन भए इहिं बिधि, पूजियौ पद-रेन।
सूर स्याम जु रसिक नागर, सुभट सुर उर दैन।।991।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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