सखा तिहारे हितू हमारे -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

भ्रमर-गीत

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राग गौरी




सखा तिहारे हितू हमारे।
तब गोरस माखन मुख देते, सुख कारन हे प्यारे।।
बपु पोष्यौ बल जानि धरयौ गिरि, बहुत भए जिय तारे।
अब नृप जीति असुर मधुबन सुनि, आइ बचन किलकारे।।
तेरै हाथ कहा कहि पठई, मिलि दासी भए कारे।
‘सूर’ बिधाता जानि किए इक, वै दासी वै कारे।। 191 ।।

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