लालन आए रैनि गँवाइ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिलावल


लालन आए रैनि गँवाइ।
निसि भई छीन, बोले तनचुर खग, ग्वालनि ढीली गाइ।।
अरुन-किरन-सुख पंकज बिगसित, मधुप लियौ रस जाइ।
चंद्र मलीन भयौ, दिनमनि तै कुमुद गए कुँभिलाइ।।
चारि जाम जागत मोहिं बीते, तुम बिनु कछु न सुहाइ।
'सूर' स्याम या दरसपरस बिनु, निसि गई नीद हिराइ।।2676।।

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