राधे तेरौ रूप न आन सौ -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

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राग मलार




राधे तेरौ रूप न आन सौ।
सुरभी-सुत-पति ताकौ भूषन उदित न पूजै भान सौ।।
अमी रसाल कोकिला साधे अंबुजचित कुम्हिलात सौ।
बिद्रुम अधर दसन दाड़िमबिज भ्रकुटी किये सुठान सौ।।
'सूरदास' प्रभु सौ कब मिलिहौ सफल रूप कल्यान सौ।। 97 ।।

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