राधा डर डराति घर आई -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग सोरठ


राधा डर डराति घर आई।
देखत ही कीरति महतारी, हरषि कुँवरि उर लाई।
धीरज भयौ सुता माता जिय, दूरि गयौ तनु सोच।
मेरी कौ मैं काहै त्रासी, कहा कियो यह पोच।।
लै री मैया हार मोतिसरी, जा कारन मोहि त्रासी।
'सूर' राधिका के गुन ऐसे, मिलि आई अबिनासी।।2015।।

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