यह छवि देखि राधिका भूली -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिलावल


यह छवि देखि राधिका भुली। बात कहति सखियनि सौं फूली।।
आपुहि देवा, आपु पुजेरी। आपुहिं जेंवत भोजन-ढेरी।।
इक बृषभानु बिलोवन हारी। नाम ताहि बदरौला नारी।।
ताकी बलि लई भुजा पसारी। अति आतुर जेंवत हैं भारी।।
उत गिरि संग खात बलिहारी। बदरौला की बलि रुचिकारी।।
सूरदास प्रभु जेंवनहारी। गिरि बपुरे सौ को अधिकारी।।912।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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