यह कहि उठे नंद-कुमार -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग रामकली


यह कहि उठे नंद-कुमार।
कहा ठगि सी रहीं बाला, परयौ कौन बिचार।।
दान कौ कछु कियौ लेखौ, रहीं जहँ-तहँ सौचि।
प्रगट करि हमकौं सुनावहु, मेटि डारौ दोचि।।
बहुरि इहिं मग जाहु-आवहु, राति साँझ सकार।
सूर ऐसौ कौन जो पुनि, तुमहिं रोकनहार।।1592।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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