मोसी हितू न तेरै ह्वैहै -सूरदास

सूरसागर

2.परिशिष्ट

भ्रमर-गीत

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मोसी हितू न तेरै ह्वैहै।
ये दिन चारि गए सुनि नागरि नैननि नींद न ऐहै।।
कठिन काठ तै ग्वारि हठीली उठि चलि बेगि निसा घटि जैहै।
जोबन बादर छाहँ ‘सूर’ प्रभु ऐसी जोति न रैहै।। 60 ।।

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