मैं कह तोहिं मनावन आई?
प्रगट लिये सबकौ ब्रज बैठी, कहा करति अधिकाई।।
जाइ करौ ह्याँ बोध सबनि कौ, मोपर कत सतरानी।
स्याम लरत तबही तै उनसौ, तिनपर अतिहिं रिसानी।।
बार बार तू कहा कहति री, ब्रज काकौ मैं लीन्हौ।
'सूरदास' राधा, सहचरि सौ, ज्वाब निदरि करि दीन्हौ।।2432।।