मेरे माई, स्याम मनोहर जीवन।
निरखि नैन भूले जु बदन छबि, मधुर हँसनि पय-पीवन।
कुंतल कुटिल, मकर कुंडल, भ्रुव नैन-बिलोकनि बंक।
सुधा-सिंधु तैं निकसि नयौ ससि, राजत मनु मृग-अंक।
सोभित सुमन मयूर-चंद्रिका, नील नलिन तनु स्याम।
मनहुं नछत्र-समेत इंद्र-धनु, सुभग मेघ अभिराम।
परम कुसल कोबिद लीला-नट, मुसुकनि मन हरि लेत।
कृपा-कटाच्छ कमल-कर फेरत, सूर जननि सुख देत।।154।।