मेरे नैन चकोर भुलाने -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग नट


मेरे नैन चकोर भुलाने।
अह निसि रहत पलक सुधि बिसरे, रूप सुधा न अघाने।।
पल घटिका, घटि जाम, जाम दिन, दिनही जुग बर जाने।
स्वाद परे निमिषहुँ नहिं त्यागत, ताही माँझ समाने।।
हरि-मुख-बिधु पीबत ये व्याकुल, नैकहुँ नही थकाने।
'सूरदास' प्रभु निरखि ललित तनु, अंग अंग अरुझाने।।2305।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः