मेरे नैननि ही सब दोस -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

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राग आसावरी




 
मेरे नैननि ही सब दोस।
कहा बसाइ अबस है मोतै हीन हिये कौ सोस।।
बल कल छल इन तकि नहिं पूजति तिनसौ केसी रोस।
गुपुत हुती पूंजी तन की सब मूसि हिए गुन कोस।।
मानत नहीं नैन ये मेरे इन पायौ परसोस।
'सूरदास' प्रभु कै बस कीन्ही आपु रहे गहि बोस।। 85 ।।

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