मुरली कुंजनि कुंजनि बाजति -सूरदास

सूरसागर

2.परिशिष्ट

भ्रमर-गीत

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राग गौरी




मुरली कुंजनि कुंजनि बाजति।
सुनि री सखी स्नवन दै अब तू जिहि बिधि हरि मुख राजति।।
कर पल्लव जब धरत साँवरे सप्त सुरनि कल साजति।
'सूरदास' यह सौति साल भई सबहिनि कै सिर गाजति।। 19 ।।

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