माधौ जू मैं अतिही सचु पायौ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग सोरठ


माधौ जू मैं अतिही सचु पायौ।
अपनौ जानि सँदेस ब्याज करि, ब्रज जन मिलन पठायौ।।
छमा करौ तौ करौ बिनती, उनहि देखि जौ आयौ।
श्रीमुख ग्यान पथ जौ उचरर्यौ, सो पै कछु न सुहायौ।।
सकल निगम सिद्धात जन्म क्रम, स्यामा सहज सुनायौ।
यहिं स्रुति, सेष, महेष प्रजापति, जो रस सिंधु उम्हायौ।
उत तुम देखे और भाँति मैं, सकल तृषा जु बुझायौ।।
तुम्हरी अकथ कथा तुम जानौ, हम जन नाहि बसायौ।
‘सूर’ स्याम सुदर यह सुनि कै, नैननि नीर बहायौ।।4151।।

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