महाराज क्यौ आजही सपने झझकाने -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिलावल


महाराज क्यौ आजही सपने झझकाने।
पौढ़े जबही आनि कै, देखे बिलखाने।।
कहा सोच ऐसौ ऐसौ परयौ, ऐसौ पुहुमी कौ।।
काकी सुधि मन मै रही, कहियै आप जी कौ।।
रानी सब व्याकुल भई, कछु भेद न पावै।
तब आपुन सहजहि कह्यौ, वह नही जनावै।।
सावधान करि पौरिया, प्रतिहार जगायौ।
'सूर' त्रास बलस्याम कै, नहिं पलक लगायौ।।2934।।

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