बोलि लीन्हौ कंस मल्ल चानूर कौं -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग गुंडमलार


बोलि लीन्हौ कस मल्ल चानूर कौं, कहा रे करत क्यौ बिलब कीन्हौ।
बंस निरवस करि डारिहौ छिनक मै, गारि दैदै ताहि त्रास दीन्हौ।।
सत्रु नान्हौ जानि रहे अवलौ बैठि, जनक आपने कौ मारि डारौ।
दुरद कौ दत उपटाइ तुम लेत हे, वहै बल आजु काहै न सँभारौ।।
भली नहिं करी तुम राखि राख्यौ उनहि, यहै कहि तुरत बाकौ पठायौ।
क्रोध कछु, त्रास कछु, सोक कछु, साहस करत रंगभूमि आयौ।।
परस्पर कही सबनि नृपति त्रास्यौ मोहिं, सुनहु रे वीर अबलौ न मान्यौ।
की मरौ, की मारि डारौ दुहूनि कौ, होइ सो होइ यह कहत रान्यौ।।
निरखि दोउ वीर तन डरे दोउ मनहिं मन, यहै बुधि करयौ ज्यौ नास कीजै।
लखतिं पुर नारि प्रभु 'सूर' दोउ मारिहै, कहति है नृपति पै सुजस लीजै।।3066।।

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