बैठी मानिनी गहि मौन -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग केदारौ


बैठी मानिनी गहि मौन।
मनौ सिद्ध समाधि सेवत सुरनि साधे पौन।।
अचल आसन, पलक तारी, गुफा घूँघट भौन।
रोषही कौ ध्यान धारै टेक टारै कौन।।
अबहिं जाइ मनाइ लीजै, अवसि कीजै गौन।
'सूर' के प्रभु जाइ देखौ, चित्त चौधी जौन।।2574।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः