पौढ़े स्‍याम जननि गुन गावत -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग कान्‍हरौ



पौढ़े स्‍याम जननि गुन गावत।
आजु गयौ मरौ गाइ चरावन कहि-कहि मन हुलसावत।
कौन पुण्‍य तप तैं मैं पायो ऐसौ सुंदर बाल।
हरषि-हरषि कै देति सुरनि कौं सूर सुमन की माल।।422।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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