पाँच बरस के लाल ह्वै -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिलावल


पाँच बरस के लाल ह्वै, तिय मोहन आए।
नागरि आगै ह्वै गई, तब बोल सुनाए।।
कह्यौ कहाँ री जाति है, काकी तू नारी।
मोहिं पठाई स्यामलै, जाकी तू प्यारी।।
यह सुनि नारि चकित भई, आपुन तहँ आए।
तब कर सौ कर गहि लियौ, देखत मन भाए।।
अगम चरित प्रभु 'सूर' के, ते लखै न कोई।
स्याम नाम स्रवननि परयौ, हरषी मुख जोई।।2720।।

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