निठुर बचन सुनि स्याम के -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिलावल


निठुर बचन सुनि स्याम के, जुवती बिकलानी।
मनु तुषार कमलनि परयौ, ऐसैं कुम्हिलानी।
मनौ महानिधि पाइ कै, खोऐं पछितानी।
ऐसी ह्वै गई तनु-दसा, पिय की सुनि बानी।
सूर बिरह ब्याकुल भई, बूड़ी बिनु पानी।।1018।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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